श्रीवसुदेव तीर्थ मंदिर,अमरोहा .A BEAUTIFUL PLACE || web freaks

श्रीवसुदेव तीर्थ मंदिर,अमरोहा .

shri vasudev therath mandir

शहर के प्राचीन श्रीवासुदेव तीर्थ मंदिर का इतिहास पांच हजार साल पुराना रहा है। वासुदेव मंदिर पांडवों के अज्ञातवास का साक्षी रहा है। महाभारतकाल में भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के साथ मंदिर में रुके थे। 

कुरुक्षेत्र से संभल जाते समय रात्रि विश्राम किया था। इसके बाद दो रात और एक दिन यहीं रहे। भगवान श्रीकृष्ण ने अपने हाथों से शिवलिंग तैयार कर पूजा की थी। उनके हाथों से तैयार शिवलिंग आज में मंदिर परिसर में मौजूद है। उनके आने के बाद मंदिर का नाम श्रीवासुदेव तीर्थ पड़ा था। कदम के वृक्ष भगवान कृष्ण के आने का साक्ष्य हैं।

shri vasudev therath mandir

 श्रीवासुदेव तीर्थ मंदिर मान्यता अधिक है। क्षेत्र के हजारों कांवड़िए यहां कांवड़ और जल चढ़ाते हैं। यहां पर वासुदेव सरोवर, तुलसी उद्यान, श्री बाबा बटेश्वर नाथ जी का विशाल मंदिर और मीरा बाबा पवित्र स्थान है। जो भक्तों को अपनी और आकर्षित करता है। यहां भक्तों की सारी मनोकामना पूरी होती हैं। 

बताते हैं कि 3000 ईस्वी पूर्व इंद्रप्रस्थ दिल्ली के राजा अमरचौड़ ने अमरोहा शहर को बसाया था। इसके बाद श्रीवासुदेव सरोवर के किनारे पर बटेश्वर शिवालय की स्थापना की गई। इस दौरान यहां पीपल और बरगद के पेड़ आपस में एक दूसरे से लिपटे हुए थे।

 महाभारतकाल के दौरान कुरुक्षेत्र जाने को भगवान श्रीकृष्ण पांडवों के साथ संभल के लिए निकले थे। इस दौरान उन्होंने पांडवों के साथ मंदिर में रात्रि विश्राम किया था। सुबह में सरोवर में भगवान श्रीकृष्ण ने स्नान किया। जिसके बाद सरोवर श्रीवासुदेव सरोवर के नाम से मशहूर हुआ। सरोवर के दक्षिण तट पर भगवान श्रीकृष्ण अपने हाथों से शिवलिंग तैयार कर भगवान शंकर की पूजा की थी। यह शिवलिंग आज में मौजूद हैं। 

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सरोवर के पश्चिमी तट पर राधा कृष्ण, राम सीता, शिव पार्वती, दुर्गा, हनुमानजी आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां विराजमान है। हनुमानजी की विशाल मूर्ति के पास कदम का वृक्ष आज भी मौजूद है। सरोवर के बीच में एक बड़े चबूतरे पर भगवान शिव की मूर्ति स्थापति है। 

मंदिर तक जाने के लिए सरोवर में दो तरफ से पुल बने हुए हैं। एक पुराने विशाल पेड़ के नीचे अनन्य कृष्ण भक्त कवयित्री मीराबाई का मंदिर है। मीराबाई के दरबार के बराबर में काली देवी का प्राचीन मंदिर है। इसके किनारे हजारों वर्ष पुराने पीपल, बरगद और पिलखन के पेड़ खड़े हैं। 

सरोवर में नीचे उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है। इस सरोवर में रात दिन बतख चहलकदमी करती रहती हैं। श्रीवासुदेव तीर्थ मंदिर की मान्यता अधिक है, इसके चलते त्योहारों पर भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रावण माह और फाल्गुन में शहर और ग्रामीण इलाकों भक्त कांवड़ और जल चढ़ाते हैं।


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