नजीबाबाद का ताजमहल/चारमीनार .
नजीबाबाद का यह ताजमहल किसी आशिक ने अपनी बीवी के लिए नहीं बल्कि एक बीवी ने अपने शौहर की याद में बनाया था ।
लगभग 246 साल पूर्व चारमीनार नाम के इस ताजमहल को एक बेगम ने अपने पति की याद में बनवाया था।
मेरठ से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर नजीबाबाद के नाम से प्रसिद्ध शहर को एक रूहेला सरदार नजीबुद्दौला ने बसाया था नजीबाबाद उत्तराखंड का प्रवेश द्वार है कोटद्वार के रास्ते यहां से उत्तराखंड आया जाया जाता है।
नजीबुद्दौला ने इस शहर में कई महत्वपूर्ण एवंम खूबसूरत भवन बनवाएं जो अब अपने यहाँ होने पर आँसू बहा रहे हैं,इसी नवाब नजीबुद्दौला के नवासे नवाब जहांगीर खान की याद में उनकी बेगम ने चारमीनार नाम से शानदार मजार बनवाया नवाब जहांगीर खान की शादी किरतपुर के मुहल्ला कोटरा में हुई थी।
शादी के दो साल बाद वह अपनी बेगम को लेने कोटरा गए हुए थे। लौटते समय जश्न की आतिशबाजी के दौरान छोड़ा गया गोला गांव जीवनसराय के पास आकर नवाब जहांगीर खान को लगा और उनकी मौत हो गई।
उस हादसे से उनकी बेगम को बहुत धक्का लगा।उन्होंने नवाब की याद में नजीबाबाद के पास मोजममपुर तुलसी में चारमीनार नाम का शानदार मकबरा बनवाया।
इस मकबरे के चारों ओर चार मीनारें हैं। एक मीनार की गोलाई 15 फुट के आसपास है। प्रत्येक मीनार तीन खंडों में बनी है। दो मीनारों में ऊपर जाने के लिए 26-26 पैड़ी बनी हुई है। इनसे बच्चे और युवा आज भी मीनार पर चढ़ते उतरते हैं।
लखौरी ईंटों से बनी इन मीनारों की एक दूसरे से दूरी 50 फुट के आसपास है। चारों मीनारों के बीच में बना भव्य गुंबद कभी का ढह गया। बताया जाता है कि इसी गुंबद में नवाब जहांगीर खान की कब्र है।
हॉल में प्र्रवेश के लिए मीनारों के बीच में महराबनुमा दरवाजे बने हैं। मीनारें भी अब धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त हो रही हैं। मीनारों के नीचे के भाग की हालत बहत ही खराब है। उनकी ईंट लगातार निकलती जा रही हैं।
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Good place
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